ये पंक्तियाँ मैथली शरण गुप्त जी कि “यशोधरा” से
प्रेरित हैं|
जग कल्याण
हित लिये वो गए
आत्म-गौरव
औ मान की ये बात
कैसे बनी मैं
महालक्ष्य-बाधक
मुझ पर ये
असहय आघात
चोरी औ छिपे
गए अँधेरी रात,
नारी बाधक
मुक्ति मार्ग की कैसे
घोर व्याघात,
महा भिनिष्क्रमण
आभाषित था
स्वाभाविक विचार,
लुक छिप के
गृह त्याग निर्णय
शोभित क्या
सिद्धार्थ?
स्वाति वल्लभा राज