Wednesday 23 December 2015

सौंदर्य




अधर गुलाब पंखुरी
बोली कूक अनायास । 
ग्रीवा सुराही समदर्शी
मुख चपला आभास ।
नैन ,प्रतिबिम्ब राजीव
भौंह अर्ध चन्द्र समान ।
चाल मदचूर हस्तिनी
वक्ष विंध्य सा जान ।
कटि नदी घुमाव
चरण कोमल पर्ण ।
आभा चांदनी छींटकी
नारी तू सुवर्ण ।
स्वाति वल्लभा राज

Tuesday 22 December 2015

​नाबालिग के मानवाधिकार सिर्फ लड़कों के लिए ?


जब कोई नाबालिग एक्स्ट्रा ordinary ​performance देता है किसी भी फील्ड में तो जैसे शिक्षा में तो exception माना  जाता है। जैसे दसवीं पास करना या डॉक्ट्रेट की उपाधि । तो फिर juvenile द्वारा नाकारात्मक काम करने में exceptional तरीके से देखने में इतनी बहस क्यों हो रही है? कोई भी आकस्मिक अपराध करता है उस समय निःसंदेह वह सजा की नहीं सोचता मगर क्या  ह्त्या , लूट पाट ,बलात्कार  जैसे अपराध सोच समझ  कर भी नहीं किये जाते ? तो अगर सजा के डर  से एक अपराध भी रुकता है तो मेरा मानना  है  ऐसे कानून सफल होंगे । 
 कोई कानून मानसिकता नहीं बदल सकता  मगर एक सन्देश जरूर देता है । 
एक सवाल भी साथ साथ 
जैसे male जुवेनाइल के सजा के लिए इतने statistics और research है ,उनके ''मानवाधिकार '' के लिए क्या वैसे हीं research और statistics हैं जो इस मानवाधिकार की बात करें जब बलात्कार की भुक्त  भोगी  नाबालिग लड़की हो ? जब नाबालिग लड़के के mind stability की चर्चा हो  रही , सुधरने की गुंजाइश की बात हो रही , decision  power की बात हो रही तो क्या एक नाबालिग पीड़िता के मानसिक दशा और मानवाधिकार की सोच रखते हुए उनके अपराधियों के ज्यादा सजा की बात नहीं होना चाहिए ?

स्वाति वल्लभा राज

देखा है मैंने ....


कौन कहता है सफ़ेद बाल अनुभव की निशानी हैं सदा 
इन्ही सफ़ेद बालों को बहुओं को जलाते देखा है ।
शिथिल पड़े झुर्रियों में सदियों की कहानी भी होंगी
मगर इन्हें बेटियों को इतिहास बनाते देखा है ।
काँपते आवाज़ में घुटे होंगी सपनें भी कई
इन्ही आवाज़ को दौलत का राग लगाते देखा है ।
सुबह शाम जो चौपाल पर पाठ सिखाया करते थे
उन्हीं सायों को रात में सबक भुलाते देखा है ।
स्वाति वल्लभा राज

Friday 18 December 2015

निर्भया नहीं ज्योति सिंह


 निर्भया कांड के लिए चित्र परिणाम

अब जितने नाबालिग बलात्कार करना चाहे वो कर सकते हैं । आधे केस में लड़कियां चुप हो जाएंगी या चुप करा दी जाएंगी । बाकी पकडे नहीं जाएंगे । जो एक आध पकडे जाएंगे उनके सजा के लिए  हम और आप कैंडल मार्च करेंगे ।  कुछ ''पढ़े लिखे लोग एक राजनैतिक मुद्दा बना सत्ता हासिल कर लेंगे  और तीन चार साल बाद उस अपराधी को ''नाबालिग कहँ छोड़ दिया जाएगा ।  संसद चलेगा नहीं जहां ऐसे कानून में संशोधन का प्रस्ताव पारित हो । जो राजनेता ऐसे हालातों को  मुद्दा  बना सत्ताधारी हुए हों वो उस नाबालिग के भविष्य सुधारने में लग जाएंगे और सबसे बड़ा सच ।  ज्योति सिंह को निर्भया बना दिया जाएगा और उस ''नाबालिग आत्मा '' की पहचान भी नहीं बताई जाएगी । ये वही '' मासूम नाबालिग'' है जिसने बलात्कार  किया तो किया रॉड  घुसाने वाला महान कृत्य कर अपनी मासूमियत का परिचय दिया ।क्या किसी नाबालिग के साथ कोई बालिग़ बलात्कार करे तो उसे सामान्य से ज्यादा सजा दी जाती है? यहां मानवाधिकार कहाँ  चला जाता है ? तो फिर मैं ये क्यों ना मानूँ  की यहाँ भी लड़के और लड़की में भेद भाव है और ये भेद भाव करने वाला हमारा कानून और सामाजिक सोच है ।   बधाई हो '' सहिष्णु, लोकतांत्रिक , धर्म निरपेक्ष भारत की । ऐसे हैं शब्दों में घिरे रहना । 
हालांकि ये मानवाधिकार का विषय है और साथ में जड़ें कहीं और पसरी हैं मगर विचित्र सामाजिक , राजनैतिक और कानूनी लचरता देख कर नियंत्रण खो बैठी ।निर्भया को निर्भया कहने की हिम्मत हो तब हीं कहना ।  मेरा सिर्फ एक विचार है - जो भी करे उसे एक जैसी सजा हो । कैसा नाबालिग और कैसा मानवाधिकार .. 

स्वाति वल्लभा राज 

Wednesday 16 December 2015

निर्भया काण्ड की बरसी

निर्भया काण्ड की बरसी । बहुत से लोग काफी कुछ कह रहे हैं । नाबालिग की रिहाई , १० हजार रूपये , दर्जी दूकान की व्यवस्था  ये सब एक अलग विषय है बहस का । मगर कितने लोगों ने इस विषय को गंभीरता से सोच कर सामाजिक तौर पर ना सही व्यक्तिगत तौर पर सोच बदलने का काम किया है ? क्या कदम उठाये हैं कि  एक लिंग विशेष के प्रति जो सोच और माहौल है उसे बदलने की कोशिश की है ? 

कुछ सवालों पर आत्म मंथन से हम समझ सकते हैं कि हमने कैसी श्रद्धांजलि दी है और फिर कोई निर्भया ना हो इसलिए हमने क्या किया है 
१.लिंग और योनि की पूजा करते हैं मगर क्या अपने टीनेजर बच्चों को सेक्स एजुकेशन के सम्बन्ध में बताना जरुरी समझे हैं? सेक्स  एजुकेशन का कत्तई मतलब नहीं कि  सेक्स करते कैसे हैं , ये बताना है । 
२. अगर पत्नी का मन ना हो तो क्या हम वाकई उससे शारीरिक सम्बन्ध बनाने पर दबाव नहीं डालते ?
३. अश्लील गाने जो सार्वजनिक स्थानों पर जोर जोर से बजाए जाते हैं कितनो ने कोसने के बजाय वहाँ जाकर खिलाफत की ?
४. क्या हमने अपने बेटों से बात कर उनके विचार जानने की कोशिश कि की वो इन सारे  विषयों को किस दृष्टिकोण से देखते हैं?
५. क्या खुद हमने किसी लड़की / औरत से बात करते वक्त या चैट करते वक़्त हर मर्यादा का ख्याल रखा और गलती से भी '' टाइम पास '' का या '' चांस '' लेने का नहीं सोचा ?

जड़ें सदियों से चली आ रही सोच और परम्पराओं में है। कितनी ऐसी परम्पराएँ हैं जो लड़कों के नाम पर  है? छोटी बातें नज़र अंदाज़ कर देना गलत है। कोई सीधे बलात्कार नहीं कर देता । जब उसने किसी लड़की को ये कहा  होगा की '' २८ से ३६ कर दूँगा '' तो क्या हुवा होगा ?
किसी के मांग में सिंदूर देख कर जब किसी ने ये कहा होगा ''ये प्लाट बिकाऊ नहीं है । अरे यार इसका तो भूमि पूजन हो गया है'' तो क्या हुवा होगा ? किसी लड़के ने जब किसी लड़की को छेड़ा होगा तो क्या हुवा होगा ? जब कोई अपने घर में ही लड़के लड़कियों का भेद भाव देखता होगा की कुछ भी हो लड़कियों को बोलने नहीं दिया जाता तो उसकी मानसिकता क्या हुयी होगी ?
जड़ें खोदें तनों को काटने से क्या होगा 

स्वाति वल्लभा राज