Tuesday 22 December 2015

​नाबालिग के मानवाधिकार सिर्फ लड़कों के लिए ?


जब कोई नाबालिग एक्स्ट्रा ordinary ​performance देता है किसी भी फील्ड में तो जैसे शिक्षा में तो exception माना  जाता है। जैसे दसवीं पास करना या डॉक्ट्रेट की उपाधि । तो फिर juvenile द्वारा नाकारात्मक काम करने में exceptional तरीके से देखने में इतनी बहस क्यों हो रही है? कोई भी आकस्मिक अपराध करता है उस समय निःसंदेह वह सजा की नहीं सोचता मगर क्या  ह्त्या , लूट पाट ,बलात्कार  जैसे अपराध सोच समझ  कर भी नहीं किये जाते ? तो अगर सजा के डर  से एक अपराध भी रुकता है तो मेरा मानना  है  ऐसे कानून सफल होंगे । 
 कोई कानून मानसिकता नहीं बदल सकता  मगर एक सन्देश जरूर देता है । 
एक सवाल भी साथ साथ 
जैसे male जुवेनाइल के सजा के लिए इतने statistics और research है ,उनके ''मानवाधिकार '' के लिए क्या वैसे हीं research और statistics हैं जो इस मानवाधिकार की बात करें जब बलात्कार की भुक्त  भोगी  नाबालिग लड़की हो ? जब नाबालिग लड़के के mind stability की चर्चा हो  रही , सुधरने की गुंजाइश की बात हो रही , decision  power की बात हो रही तो क्या एक नाबालिग पीड़िता के मानसिक दशा और मानवाधिकार की सोच रखते हुए उनके अपराधियों के ज्यादा सजा की बात नहीं होना चाहिए ?

स्वाति वल्लभा राज

1 comment:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24-12-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2200 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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